Vertex Kalyan Sansthan

भारत सरकार द्वारा मान्यता प्राप्त

Menstrual Hygiene Awareness Program मासिक धर्म स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रम

The vertex kalyan sansthan trust is working towards the empowerment of women and children through community programs in the rural parts of India. vertex kalyan sansthan has been working for women health, education and livelihood since over now and has transformed of lives.

Awareness campaign among adolescent girls and women on Menstrual Hygiene and health.

Lack of menstrual hygiene management is a major reason for majority of the girls skipping schools during their periods and eventually dropping out at an early age and missing out on their education. Menstruation and menstrual hygiene related discussions are still not common in the Indian villages and across a large section of the urban society even now.

Menstrual health is crucial to the overall well-being of every woman. It is also amongst the most challenging development issues today, particularly in the developing world, with lack of awareness, old mindsets, customs and institutional biases preventing women from getting the menstrual health care they need. Statistics suggest that women in the unorganized sector are more susceptible to menstrual infections due to poor sanitation facilities and lack of awareness. To bridge this need gap, VERTEX KALYAN SANSTHAN IS spearheaded a special initiative on Menstrual Hygiene Management, especially for women from rural India and underprivileged sections of the society.

Menstruation is a normal and natural biological process by all adolescent girls and women, yet it is not spoken about openly causing

Menstrual hygiene is an important aspect of women’s dignity, and it’s their right as well. Even after decades, talking about the menstrual cycle and hygiene is taboo. Many women and girls still hesitate to talk about when they first face menstruation. Vertex Kalyan Sansthan in India Free distributed sanitary napkins and pads to girls and educated them about the consequences of not using these.

Mentrul Hygiene Details (मासिक धर्म स्वच्छता जागरूकता कार्यक्रम विवरण)

महिलाओं के लिए इस विषय की जानकारी होना बेहद जरूरी है।

आज भी इसे लेकर कई तरह की भ्रांतिया फैली हुई हैं। ऐसे में इस दौरान स्वच्छता के महत्व के प्रति जागरूक करने के लिए मकसद से हर साल ‘वर्ल्ड मेन्सट्रुअल हाइजीन डे’ मनाया जाता है।

Menstrual Hygiene Day: पीरियड्स या मासिक धर्म के प्रति स्वच्छता रखने और भ्रांतियां मिटाने के लिए प्रतिवर्ष 28 मई को विश्व मासिक धर्म स्वच्छता दिवस मनाया जाता है। पीरियड के दौरान महिलाओं को स्वच्छता पर खास ध्यान देने की जरूरत होती है वरना ये कई तरह के इंफेक् शन और बीमारियों की वजह बन सकता है।

अपने मासिक धर्म के दौरान स्वच्छता कैसे बनाए रखें
हल्के सूती अंडरवियर पहनें। पीरियड प्रोटेक्शन बदलने से पहले और बाद में अपने हाथ धोएं। सुरक्षा को बार-बार और अपने मासिक धर्म प्रवाह के अनुरूप बदलें। डिस्पोजेबल सैनिटरी प्रोटेक्शन को टॉयलेट पेपर में लपेटे हुए कूड़ेदान में फेंकें।

नॉर्मल पीरियड कितने दिन तक रहता है?
महिला के मासिक धर्म का पहला दिन मासिक धर्म चक्र का पहला दिन होता है। पीरियड्स लगभग 2 से 7 दिनों तक चलते हैं और महिलाओं को एक पीरियड में लगभग 20 से 90 मिलीलीटर (लगभग 1 से 5 बड़े चम्मच) खून खोना पड़ता है। कुछ महिलाओं को इससे भी अधिक रक्तस्राव होता है, लेकिन यदि भारी मासिक धर्म एक समस्या है तो सहायता उपलब्ध है। हैवी पीरियड्स के बारे में जानें.

पीरियड्स क्या है?

पीरियड्स एक ऐसी स्थिति है, जिसमें महिलाओं के बच्चेदानी (यूट्रस) के अंदर से रक्त और ऊतक, यौनी के द्वारा शरीर से बाहर आते हैं। मुख्य रूप से यह प्रक्रिया एक महीने में एक बार होती है। आसान भाषा में कहा जाए तो पीरियड्स में हमारे शरीर से अस्वस्थ रक्त और ऊतक शरीर से बाहर निकलते हैं, जिससे महिला का शरीर गर्भधारण करने के लिए तैयार हो जाता है।

पीरियड्स तब शुरू होते हैं, जब लड़कियां प्यूबर्टी में होती है। इस दौरान शरीर में कई हार्मोनल परिवर्तन होते हैं. जिसके कारण उनकी प्रजनन क्षमता विकसित होती है। आमतौर पर पीरियड्स की स्थिति 9 से 16 साल की उम्र की लड़कियों में शुरू हो जाती है, जिसके बाद हर माह में 3 से 7 दिनों तक पीरियड्स आते हैं।

पीरियड साइकिल क्या है?

पीरियड साइकिल या मेंस्ट्रुअल साइकिल पीरियड्स का वह समय होता है, जो पीरियड के पहले दिन से अगले पीरियड के पहले दिन के बीच का समय होता है। चलिए इस स्थिति को उदाहरण की सहायता से समझते हैं। मान लेते हैं कि आपके पीरियड्स 16 जनवरी को शुरू हुए थे। तो आपके पीरियड साइकिल का समय 16 जनवरी से 14 फरवरी तक होगा। पीरियड साइकिल के पूरे चक्र को चार भाग में बांटा जाता है -

• पीरियड्स: यह पीरियड का पहला चरण माना जाता है। पीरियड्स का समय 3 से 7 दिनों तक रहता है। इसमें बच्चेदानी की परत टूटती है और वह रक्त, ऊतक और बलगम के रूप में यौनि के माध्यम से बाहर निकलती है।

• फॉलिक्युलर फेज: यह पीरियड साइकिल का दूसरा चरण है, जो पीरियड्स के सप्ताह के तुरंत बाद आता है। इस फेज में एस्ट्रोजन लेवल (महिला सेक्य हार्मोन) बढ़ता है, और अंडाश्य फर्टिलाइजेशन के लिए एक अंडे का उत्पादन करते हैं। इस दौरान यूटेरिन लाइनिंग फिर से बनने लगती है।

• ओव्यूलेशन: ओव्यूलेशन का फेज तीसरा चरण है, जिसमें मुख्य यूटेरिन लाइनिंग टूटने लगती है और एक परिपक्व अंडाणु को फैलोपियन ट्यूब में छोड़ देता है। यहाँ से अंडे यूटेरस में जाकर यूटेरिन लाइनिंग से जुड़ जाता है।

• ल्यूटियल चरण: यह अंतिम फेज़ है। यह फेज तब तक रहता है, जब तक पीरियड्स वापस नहीं आते हैं। यदि पीरियड साइकिल में फर्टिलाइजेशन नहीं होता है, तो यूट्रस की लाइनिंग टूट जाती है और बाहर निकलने लगती है, जिसके कारण पीरियड्स आते हैं।

पीरियड्स में किस प्रकार की समस्या उत्पन्न होती है?

कई बार ऐसा होता है कि महिलाओं को पीरियड आने से पिछले हफ्ते में पीएमएस या प्रीमेंस्ट्रुअल सिंड्रोम का अनुभव होता है। इसमें महिलाएं कुछ चीजों का अनुभव करती हैं जैसे - व्यवहार में बदलाव, मुहांसे, एंग्जायटी, गैस बनना या पेट फूलना, चिड़चिड़ापन या बात-बात पर गुस्सा आना।

यह सारे लक्षण पीरियड्स के शुरुआती लक्षण भी होते हैं। इसके साथ महिलाएं पेट और पीठ के निचले भाग में दर्द भी होता है। पीरियड्स में दर्द होना एक आम स्थिति है, लेकिन कुछ मामलों में दर्द बहुत ज्यादा बढ़ जाता है जो असहनीय हो जाता है।

पीरियड्स मिस क्यों होते हैं?

क्या इस महीने पीरियड्स नहीं आए हैं? घबराने की आवश्यकता नहीं है। कभी-कभी पीरियड मिस होना एक सामान्य बात है। यदि आप पीरियड्स कम आने के कारण या मिस होने के कारण चिंतित हैं तो ऐसा बिल्कुल न करें और बिना सोचे समझे पीरियड्स मिस होने के उपाय न करें। हालांकि कुछ कारण है, जिसकी वजह से पीरियड मिस होते हैं जैसे -

  • अधिक तनाव
  • वजन बढ़ना
  • अधिक वजन बढ़ना
  • पीसीओडी या पीसीओएस की समस्या
  • हार्मोनल जन्म नियंत्रण गोलियां का उपयोग
  • प्री-मेनोपॉज या मेनोपॉज की स्थिति
  • थायराइड की समस्या
  • पुरानी स्वास्थ्य समस्या जैसे सीलिएक रोग (पाचन तंत्र की समस्या) और डायबिटीज
  • गर्भधारण करना
  • कई बार ऐसा होता है कि पीरियड सिर्फ एक बार मिस होता है। लेकिन यदि 3-6 महीने से पीरियड नहीं आ रहे हैं, तो यह एक गंभीर स्थिति है। इसके लिए तुरंत एक अच्छे स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें।

    पीरियड्स नहीं होने पर क्या करना चाहिए?

    कई बार ऐसी स्थिति उत्पन्न हो जाती है कि कई कारणों से पीरियड्स नहीं आते हैं। इस दौरान महिलाएं पीरियड्स रोकने के उपाय खोजती हैं। यहां एक बात को समझने की आवश्यकता है कि मेनोपॉज शुरू होने के बाद पीरियड्स आने बंद हो जाते हैं। इस स्थिति में कोई भी उपाय कार्य नहीं करते हैं। इस स्थिति में घबराने की आवश्यकता नहीं है क्योंकि यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है।

    यदि आपकी उम्र 20 ये 45 के बीच है और पीरियड्स आने बंद हो गए हैं, तो आपको चिंतित होना चाहिए। कई बार ऐसा होता है कि लड़की को पीरियड्स नहीं आते हैं या फिर एक-दो बार पीरियड आकर बंद हो जाते हैं तो उस स्थिति को चिकित्सा भाषा में एमेनोरिया कहा जाता है। व्यस्क महिलाओं में नियमित रूप से पीरियड न आना कुछ गंभीर स्वास्थ्य स्थिति की तरफ इशारा करता है। इससे बचने के लिए हम आपको सलाह देंगे कि आप हमारे डॉक्टरों से परामर्श करें और त्वरित इलाज प्राप्त करें। डॉक्टर स्थिति का निदान करते हैं और पीरियड्स न आने के कारण का पता लगाते हैं और उसी के आधार पर इलाज की योजना तैयार की जाती है। एक अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ इस स्थिति में आपकी मदद कर सकती है।

    पीरियड्स के दर्द के उपाय

    जैसा कि हमने आपको पहले बताया है कि पीरियड्स के दौरान होने वाले दर्द एक सामान्य स्थिति है। यदि दर्द ज्यादा हो तो महिलाएं निम्नलिखित उपायों का पालन कर सकती हैं -

  • एक चम्मच अजवाइन को एक गिलास पानी में उबालकर पीएं।
  • दूध और हल्दी इस स्थिति में बहुत लाभकारी साबित होंगे। एक कप दूध में हल्दी डालकर गरम करें और उसमें गुड डाल कर पीएं।
  • अधिक वजन बढ़ना
  • पीठ पर गर्म सेक लगाएं। इसके कारण दर्द और सूजन में कमी आती है।
  • पीरियड्स में डाइट में बदलाव करें जैसे स्प्राउट्स, बीन्स, हरी पत्तेदार सब्जियां और ताजे फल को अपने आहार में जोड़ें। इसके साथ ड्राई फ्रूट्स बहुत ज्यादा लाभकारी है।
  • पीरियड्स में दर्द के उपाय के साथ-साथ पीरियड्स रेगुलर करने के उपाय करने से बहुत लाभ मिलेगा। निम्नलिखित निर्देशों का पालन करके पीरियड्स की स्थिति को रेगुलर किया जा सकता है -

  • हल्दी के सेवन से मदद मिलेगी
  • अदरक वाली चाय पीएं
  • कच्चा पपीता पीरियड्स में लाभकारी साबित होगा
  • गुड़ का प्रयोग होगा मददगार
  • एलोवेरा का जूस बहुत मदद करेगा
  • सेब के सिरके में चमत्कारी गुण होते हैं।
  • दालचीनी, चुकंदर को अपने आहार में जोडें
  • स्वस्थ आहार का सेवन करें
  • निष्कर्ष

    पीरियड्स एक सामान्य प्रक्रिया है, जिसका होना बहुत ज्यादा अनिवार्य है। इसके कारण एक महिला को मां बनने का सौभाग्य प्राप्त हो पाता है। यदि आप गर्भधारण करने, पीरियड्स साइकिल में समस्या, या अन्य पीरियड्स से संबंधित स्थिति का अनुभव कर रही हैं, तो हम आपको सलाह देंगे कि आप हमारे श्रेष्ठ एवं अनुभवी स्त्री रोग विशेषज्ञ से संपर्क करें। वह आपकी मदद कर सकते हैं।

    हालांकि कभी-कभी महिलाएं पीरियड्स रोकने के घरेलू उपाय की तलाश में रहती है, लेकिन यह प्रकृति से छेड़छाड़ होगी, जिससे बहुत गंभीर समस्या उत्पन्न हो सकती है।

    प्यूबर्टी क्या होता है,
    प्यूबर्टी से सभी लोग गुज़रते हैं! यह एक शारीरिक परिवर्तन है जो आपके वयस्क होने पर होता है, आमतौर पर यह 10-14 साल की उम्र के बीच होता है। एक लड़की के तौर पर, आपको पता चल जाएगा कि आप प्यूबर्टी से गुज़र रही हैं, जब आप अपने शरीर में बदलाव महसूस करेंगी, जैसे आपकी कमर का आकार बदलेगा, स्तन बढ़ेंगे, और ज़ाहिर सी बात है कि आपका पहला पीरियड आएगा।

    पीरियड क्या होता है,
    पीरियड आपके मासिक चक्र का आखिरी भाग होता है। स्टेज 1 में आपका शरीर प्रेग्नेंसी की तैयारी के लिए रक्त से भरपूर सेल बनाता है। स्टेज 2 ओव्यूलेशन है। स्टेज 3 रक्त से भरपूर झिल्ली को शरीर से निकालना है, यही आपका पीरियड कहलाता है। स्टेज 4 आपके पीरियड की अवधि है, जो आमतौर पर 3-7 दिन होती है। फिर यह साइकिल वापस से शुरू हो जाती है (जब तक कि आप प्रेग्नेंट नहीं होतीं)।

    पीरियड कब से स्टार्ट होते हैं?
    पीरियड्स कब शुरू होते हैं? महिलाओं की पहली माहवारी यौवन के दौरान होती है। आपकी पहली माहवारी होने की औसत आयु 12 या 13 वर्ष है, लेकिन यह 9 वर्ष की आयु में या 16 वर्ष की आयु में भी हो सकती है।

    ब्रेस्‍ट बड्स का विकास
    कई लोगों का मानना है कि मासिक धर्म का संबंध प्‍यूबर्टी से होता है, लेकिन सच तो यह है कि प्‍यूबर्टी में जाने के लगभग दो साल बाद लड़कियों को उनका पहला पीरियड आता है। कुछ बच्‍चों में प्‍यूबर्टी 8 साल की उम्र में ही आ जाती है। प्‍यूबर्टी में आने पर पहला फिजीकल संकेत मिलता है ब्रेस्‍ट बड्स का विकास होना। आमतौर पर ऐसा 11 से 12 साल की उम्र के बीच होता है, लेकिन कुछ बच्‍चों में इससे पहले या बाद में भी ब्रेस्‍ट बड्स विकसित हो सकते हैं।

    शरीर पर बाल आना
    पीरियड आने से पहले शरीर के उन हिस्‍सों में बाल आने लगते हैं, जहां पहले नहीं थे। टांगों और अंडरआर्म्‍स में बाल आते हैं और यौन अंगों में भी हेयर ग्रोथ शुरू हो जाती है। ब्रेस्‍ट बड्स निकलने के कुछ समय बाद ही प्‍यूबिक हेयर यानी यौन अंगों में बाल आने लगते हैं। यह पीरियड शुरू होने का संकेत हो सकता है।

    वजाइनल डिस्‍चार्ज
    ब्रेस्‍ट बड्स और प्‍यूबिक हेयर के अलावा वजाइनल डिस्‍चार्ज भी आपको इस बात का साफ संकेत देता है कि आपकी बेटी को पीरियड्स शुरू होने वाले हैं। इस समय अपनी बेटी को समझाएं कि अब बस कुछ ही महीनों में उसे पीरियड्स शुरू होने वाले हैं। अपनी बेटी को इस बात के लिए तैयार करें। पीरियड्स शुरू होने से पहले लगभग छह से 12 महीने पहले ही वैजाइनल डिस्‍चार्ज शुरू हो जाता है।

    पानी जैसा साफ, पीला या सफेद रंग का डिस्‍चार्ज हो सकता है। इसका मतलब यह है कि शरीर में अधिक एस्‍ट्रोजन बन रहा है। इसे लेकर चिंता करने की जरूरत नहीं है।

    मां क्‍या करे
    ये हर मां की जिम्‍मेदारी है कि वो अपनी बेटी के शरीर में हो रहे इस बड़े बदलाव के लिए उसे मानसिक और शारीरिक रूप से तैयार करे। मासिक चक्र शुरू होने पर अक्‍सर पेट में तेज दर्द और कई तरह की परेशानियां आती हैं जिन्‍हें देखकर लड़कियां डर जाती हैं।

    ऐसे में अपनी बेटी को समझाएं और उसकी हिम्‍म्‍मत बढ़ाएं कि यह प्रकति का एक नियम है जिसके लिए उसे तैयार रहना है।

    उसकी डायट में भी ऐसी चीजों को शामिल करें जिनमें आयरन और फोलिक एसिड भरपूर मात्रा में हों। ये सब पोषक तत्‍व आगे चलकर भी सेहतमंद रहने और हार्मोनल संतुलन के लिए फायदेमंद होते हैं।

    महिलाओं में मासिक धर्म यानी पीरियड आने के चार - पांच दिन पहले कुछ लक्षण महसूस होने लगते हैं जो सामान्यतः हैं
  • थकान महसूस होना।
  • हारमोंस के बदलाव के कारण नींद ना आना।
  • चिड़चिड़ापन होना।
  • पेट में भारीपन महसूस होना।
  • पेट के निचले हिस्से में दर्द और ऐंंठन महसूस होना।
  • मूड स्विंग होना ।
  • चिंता, चिड़चिड़ापन का हावी होना।
  • स्तनों में संवेदनशीलता का बढ़ जाना।
  • कब्ज का होना।
  • यह कुछ सामान्य लक्षण है जो कभी न कभी सभी को महसूस होते हैं। वही किशोरावस्था में पीरियड्स के कुछ लक्षण इस प्रकार है –
  • गुप्तांगों पर बाल आना ।
  • आवाज में परिवर्तन होना ।
  • योनि स्राव होना ।
  • स्तनों में उभार आना ।
  • चेहरे पर मुहांसे होना ।
  • आवाज में परिवर्तन होना ।
  • योनि स्राव होना ।
  • स्वभाव परिवर्तन होना जैसे चिड़चिड़ापन, गुस्सेल आदि ।
  • जानें प्रेग्नेंसी के बाद पहली बार पीरियड्स कब होते है, साथ ही जानिए कैसे रखें खुद का ख्याल

    वहीं प्रेग्नेंसी के बाद तुरंत पीरियड्स होना संभव नहीं होता है। अगर ऐसा होता है तो तुरंत डॉक्टर से संपर्क करना चाहिए।

    प्रेग्नेंसी के बाद एक महिला के अंदर कई तरह के हार्मोनल परिवर्तन होते है। प्रेग्नेंसी के बाद ब्रेस्टफीडिंग पर निर्भर होता है कि आखिर कब पीरियड्स होगे। इसीलिए हर एक प्रेग्नेंट महिला का स्वास्थ्य अलग-अलग होता है। जानें प्रेग्नेंसी के बाद होने वाले पीरिड्यस में कैसे खुद का ख्याल रखें। साथ ही जानिए कि पीरियड्स प्रेग्नेंसी के बाद कब शुरु होते है। साथ ही जानें डाइट।

    प्रेग्नेंसी के बाद पहला पीरियड
    प्रेंग्नेसी के बाद पीरियड्स देर से आने के कई कारण हो सकते हैं।

    अगर कराती हैं ब्रेस्टफीडिंग
    अगर कोई महिला स्तनपान कराती है तो पीरियड्स में थोड़ी देर हो सकती है। इसकी वजह है कि दूध के उत्पादन के लिए प्रोलैक्टिन हार्मोन की जरूरत होती है। जिसके कारण प्रजनन हार्मोन कम हो जाते हैं। जिसका रिजल्ट ये निकलता है कि पीरियड्स में देरी हो जाती है। इन्ही में कुछ महिलाओं को स्‍तनपान करवाने की वजह से 6-8 महीने के बाद माहवारी आना शुरू होती है। जब आप दूध पिलाना बंद कर देती हैं तब पीरियड नार्मल तरीके से शुरू हो जाता है।

    अगर नहीं कराती हैं ब्रेस्टफ्रीडिंग
    अगर कोई महिला ब्रेस्टफ्रीडिंग नहीं कराती है तो उसे डिलिवरी के बाद 1 से लेकर 3 माह के अंदर पीरियड्स हो जाते है। अगर 3 महीने बाद आपको पीरियड्स न हो तो आपको गायनोलॉजिस्ट से मिलना चाहिए। जिससे पीरियड्स न होने का सही कारण सामने आए।

    प्रेग्नेंसी के बाद डाइट का रखें खास ख्याल
    प्रेग्नेंसी के समय वजन अधिक बढ़ जाता है। इसलिए डिलीवरी होने के बाद खुद को फिट रखना जरूरी होता है और आप अच्छी डाइट, एक्सरसाइज से बढ़े वजन को कम कर सकती है। इसलिए अपनी डाइट में हेल्दी चीजें लेना शुरू करें। जैसे प्रोटीन से भरपूर दूध, चीज, दही, मछली और बीन्स इसके अलाला आप फल, सब्जियां, अनाज आदि का भी सेवन करें। जिससे मां और बच्चा दोनों की बॉडी मजबूत रहेगी इसके अलावा अपनी डाइट में ऐसी चीजों का शामिल करें जिसमें विटामिन्स, मिनरल्स और फाइबर पाए जाते हैं। इसके साथ ही जंकफूड, एल्कोहॉल और कैफीन का सेवन सीमित तरीके से ही करें।

    एक्सरसाइज
    प्रेग्नेंसी के बाद भी आपका वजन ज्यादा होता है। इसके लिए आप रोजाना 20-30 मिनट एक्सरसाइज जरूर करें। लेकिन ध्यान रहें कि ये एक्सरसाइज हल्की और आरामदेय होनी चाहिए क्योंकि डिलीवरी के बाद शरीर काफी लचीला हो जाता है और ऐसे में हार्ड एक्सरसाइज इसे नुकसान पहुंचा सकती है।

    क्या है मेनोपॉज
    जब महिलाओं को पीरियड्स बंद हो जाते हैं और उनके कंसीव करने की संभावनाएं कम हो जाती हैं तो उस खास समय को मेनोपॉज कहते हैं. ये एक लंबा समय होता है और इस दौरान महिलाओं के शरीर में कई तरह के बदलाव आते हैं और उनकी मेंटल हेल्थ पर भी इसका असर होता है. हालांकि हर महिला में मेनोपॉज का पैटर्न अलग अलग होता है, इसके साथ ही इसके लक्षण भी अलग अलग होते हैं. मेनोपॉज के लक्षणों की बात करें तो रात में पसीना आना, मूड स्विंग, चिड़चिड़ाहट, स्ट्रेस, हॉट फ्लेशेज आम लक्षण हैं जो लगभग हर महिला में देखे जाते हैं. ऐसे दौर में महिलाओं को बार बार यूरिन आता है, नींद बाधित होने लगती है, स्किन रूखी होने लगती है और वजन भी बढ़ने लगता है.

    क्या है मेनोपॉज की सही उम्र
    देखा जाए तो 45 से 50 साल के बीच महिलाओं में मेनोपॉज की प्रोसेस शुरू हो जाती है. लेकिन नए दौर में महिलाओं को 40 साल के बाद भी मेनोपॉज हो रहा है. महिलाओं के शरीर के अनुसार भी मेनोपॉज की प्रोसेस और उम्र बदल सकती है. मेनोपॉज की प्रोसेस के समय का बात करें तो ये प्रोसेस चार साल से लेकर दस साल तक चल सकती है. पहले पीरियड कम आते हैं, फिर आना बंद हो जाते हैं. कुछ समय बाद फिर से ब्लीडिंग होने लगती है. ऐसी ही प्रोसेस के तहत मेनोपॉज कई साल तक चलता है.